लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने के सन्दर्भ में ऋषभ भट्ट द्वारा
चुनाव लोकतंत्र का प्रतीक है,यह जनता के शक्ति का प्रतीक है|बिना चुनाव के लोकतंत्र निरर्थक है|चुनाव देश के कार्यतंत्र को एक नयी उर्जा देता है और उसे नवनिर्मित भी करता है|पर इन बातो से इंकार नहीं किया जा सकता की चुनावो के दौरान जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है,देश के सरकारी खजाने पअतिरिक्त बोझ आता है और भारत जोकि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और जहा सत्ता का विभाजन केंद्र और राज्यों में विभाजित है और जहा स्थानीय और पंचायती व्यवस्था अपनाई जाती हो वहां चुनावों का सामना आम जनता से हर कदम पर होता है|चाहे वह लोकसभा का चुनाव हो,चाहे विधानसभा का हो,चाहे स्थानीय प्रशासन के सदस्य चुनना हो जैसे नगर पालिका ,नगर पंचायत या ग्राम पंचायत|अतः कम अवधि में ही कई बार चुनाव होते है जिससे जनता को अनियमितता और परेशानी होती है और उसके साथ साथ निर्वाचन आयोग पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ आता है|इसी कारण वश बीते कुछ वर्षो से देश के दो बड़े स्तर के चुनाव लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की चर्चा हो रही है| इस विचार को मूर्तरूप देने में तो अभी समय है पर इसके लाभ होने के साथ साथ कुछ नुकसान भी है|वैसे लोकस...