भारत की स्वच्छता में मेरा योगदान

 "भारत की स्वच्छता में मेरा योगदान!"

सन् 1947 में हमारा भारत स्वतंत्र हुआँ!
भारत की स्वतंत्रता में अनेक वीरों ने अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया!
महात्मा गांधी जी ने 1947 में जो सपना देखा था उसका उद्देश्य भारत को स्वतंत्र बनाना था, परंतु केवल अंग्रेजों से ही नहीं, बल्कि हर उस विचारधारा से जो भारत को गुलाम बनाती हैं!
क्या आज हम सभी पूर्ण रूप से आज़ाद हैं?
नहीं!! हम आज भी गुलाम हैं उन रूढिवादों विचारधाराओं के जो हमें पिछड़ा बनती हैं,उन कर्मों के जो हमें आगे नहीं बढ़ने देते और उन मानसिकताओं के जो हमारे विकास में बाधक बन रहीं हैं!
आज हमें आवश्यकता हैं,एक बार फिर से वही क्रांति जगाने की जैसी की सन् 1857 में मंगल पाण्डेय ने लगायी थी!क्योंकि आज भी भारत को कई बुराईयों को ने अपनी बेड़ियों में जकड़ रखा हैं!
आज आवश्यकता हैं उन सभी बेड़ियों को तोड़,उनसे मुक्त होने की!

किसी अन्य व्यक्ति में सुधार से पूर्व हमें स्वयं में सुधार लाना होगा और अपने आप को और जानना और समझना होगा,की क्या हम जो कर रहे हैं वो सही हैं और देश के हित में हैं,तत्पश्चात् अपनों के अपनों के विरोध में भी खड़ा होना होगा अगर कोई अपना भी गलत करे तो उसे समझाना होगा और उसे सही मार्ग पर प्रशस्त करना होगा! तभी हम दूसरो को सलाह देने योग्य हैं!
और फिर अपने परिवार,मोहल्ले,गाँव,शहर,जिलें,राज्य और देश तक यही बात पहुचानी होगी!
और इसके लिये मैं उन्हें तैयार करुँगा जो औरों को तैयार कर सके और इस मार्ग पर बढ़ सके साथ ही दूसरों को भी प्रेरित कर सके!

सबसे महत्वपूर्ण हैं अगर कोई अपने देश को गन्दा कर रहे हैं तो उनमे शर्मिंदगी को जगाना,क्योंकि यही शर्मिंदगी उन्हें गन्दगी करने से रोकेगी जहाँ पर हम नहीं होंगे वहाँ भी!
व्यक्तियों में स्वच्छता के प्रति रूचि जाग्रत करनी होगी!
कुछ लोग जो अपने गलत विचारों को धर्म के नाम पर अपने अनुसार चलते आ रहे हैं उन्हें ऐसा करने से रोकना होगा उनका विरोध जाताना होगा!
और उन्हें सही मार्ग पर लाना होगा!!

आज स्वच्छ भारत का सपना सब का हैं परंतु उसे पूरा करने को कोई तैयार नहीं?
विचार सबके हैं पर उनपर अमल करने को कोई तैयार नहीं?
स्वच्छ भारत तो सबको चाहिये, परंतु अपने हाथों से गन्दगी दूर करने में शर्म आती हैं?
बता सकते हैं आप कैसे होगा स्वच्छ भारत?

अब मैं कहने जा रहा हूँ की मैं अपने स्तर पर क्या-क्या कर सकता हूँ,'स्वच्छ भारत' के लिये:-

(1.)सबसे पहले मैं खुद से सभी देसवासियों तक अपने इस विचार को ले जाने का पूर्ण प्रयास करूँगा! चाहे वो मैं हूँ,मेरे अपने हो,या कोई और सबको सामान रूप से सलाह दूँगा और स्वछता के प्रति जागरूक करूँगा!

(2.)स्लम(गंदे) क्षेत्रों में जाकर उनका निरीक्षण कर उन्हें स्वच्छता के फायदों से अवगत् कराऊँगा और उनमें स्वछता की भावना जगाऊँगा!

(3.)देश के प्रत्येक भारतीय को शिक्षा के प्रति जाग्रत करूँगा!क्योंकि एक शिक्षा ही हैं, जो उन्हें क्या सही और क्या गलत में भेद समझा पाने में पूर्ण रूप से सफल हैं!

(4.)प्रत्येक भारतीय में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाने का प्रयास करूँगा!क्योंकि राष्ट्रप्रेम जब तक नहीं होगा हम अपने ही राष्ट्र को परायी ज़ागीर समझ कर इसे गन्दा करते रहेंगे!

(5.)यह संकल्प लूँगा की ना तो आज से मैं गन्दगी करूंगा और ना ही किसी को करने दूँगा!

(6.)गलत को गलत कहने से हिचकिचाऊँगा नहीं अगर कोई गलत करेगा तो उसे वही टकूँगा और सही का ज्ञान दूँगा!

(7.)भारत को पूर्ण रूप से स्वच्छ बनाने के लिए आवश्यक हैं की हम न केवल आँखों से दिख रही गन्दगी को साफ़ करें,बल्कि मन में व्याप्त जो भी गन्दगी हैं उसका भी आंकलन करें और उनमें सुधार लायें,तभी भारत पूर्ण रूप से स्वच्छ होगा!

(8.)कुछ बिंदु जो हम अपनी दैनिक दिनचर्या में अपना सकते हैं गन्दगी को मिटाने के लिए आवश्यक हैं, वो हैं:-

(1'.)गन्दगी न तो करेंगेे और ना ही किसी को करने देंगे,कचरे को उसके सही स्थान कूड़ेदान में ही डालेंगे!

(2'.)यहाँ-वहा कही भी नहीं थूकेंगे और अगर कोई ऐसा करता हैं तो उसे वहीं टोकेंगे!

(3'.)प्लास्टिक कवर्स में स्थान पर कागज कवर्स का उपयोग करेंगे!

(4'.)छोटे-छोटे बच्चों को अभी से स्वच्छता का ज्ञान देंगे और उनके दैनिक गुणों में स्वच्छता शामिल कराने का प्रयास करेंगे!

(5'.)अधिक से अधिक वृक्ष लगायेंगे और वृक्षों को कटने से रोकेंगे!

(6'.)सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग इकट्ठा कर उनका उचित निदान करेंगे!

(7'.)व्यक्तिगत यातायात के स्थान पर सरकारी यातायतों का प्रयोग करेंगे!

(8'.)अगर आस-पास कोई NGOs कार्यरत् हैं तो उसमे शामिल होकर,स्वछता में अपना योगदान देंगे!

(9'.)अपने आस-पास से धन एकत्रित कर एक कूड़ेदान का निर्माण कराएँगे और आस-पास का कचरा उसमे एकत्रित करेंगे!

(10'.)स्वछता कर्मचारियों को भी उचित सम्मान प्रदान करेंगे ताकि वह अपने इस सुकार्य की ओर और प्रोत्साहित और अग्रसित होते रहें!

(9.)"स्वच्छ हो तन,स्वच्छ हो मन,
और स्वच्छ मेरा जीवन;
स्वच्छ मनन के स्वच्छ गगन में,
स्वच्छ पड़े ये सूर्य किरण;
स्वच्छ पेड़ की स्वच्छ छाँव में,
स्वच्छ करे पक्षी क्रंदन;
स्वच्छ देश की स्वच्छ चाह में;
स्वच्छ करूँ मन का दर्पण!
स्वच्छ करूँ मन का दर्पण!!"

"कल्पना करता हूँ की हमारे यह सभी विचार,हमारे मनोमस्तिष्क की सीमाओं से बाहर आकर जल्द ही साकार रूप धारण करेंगे और स्वच्छ भारत का संकल्प भी शीघ्र ही कारगर सिद्ध होगा!!"

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