रोहिंग्या मुसलमान : समस्या और समाधान

            आज विश्व के सबसे ज्वलंत मुद्दों में से एक शरणार्थी मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ हैशरणार्थियो का भविष्य सभी राष्ट्र दो पैमानों से तोलते है एक मानवता के आधार पर उन्हें शरण देना या राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर उन्हें देश में आने की अनुमति प्रदान करनाकुछ मानवाधिकारी संस्थाएं विश्व के विभिन्न प्रान्तों में लगातार शरणार्थियों के मूलभूत अधिकारों दिलाने के लिए निरंतर अथक प्रयास कर रही है और वे विभिन्न राष्ट्रों से लगातार शरणार्थियो को शरण देने की मांग भी करती रहती हैसंयुक्त राष्ट्र भी अपने सदस्य देशो से शरणार्थियो को जरूरी वस्तुए मुहैया कराने का निर्देश देता रहता है|
                                   अगर विश्व पटल पर मानवता,प्रेम और करुणा की बात होती है और भारत का नाम लिया जाये यह असंभव हैक्योकि  भारत वसुधैव कुटुम्बकम और सर्वे भवन्तु सुखिनः जैसी सार्वभौमिक और विश्ववादी विचारो से ताल्लुक रखता हैभारत ने हमेशा से ही शरणार्थियो के प्रति दया का भाव दिखाते हुए उन्हें अपने यहाँ शरण दी है और अटल जी की ये पंक्तिया स्पष्ट रूप से भारत के शरणार्थियो के प्रति भाव को प्रदर्शित करती है |
               शरणागत की रक्षा की है मैंने अपना जीवन देकर,विश्वास नहीं यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर|
भारत ने हमेशा से शरणार्थियो को संरक्षण दिया और उनके मूलभूत अधिकारों की रक्षा की और आज हमारे सामने रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने का प्रश्नचिंह खड़ा हुआ है|
                                           रोहिंग्या मुसलमान सामान्यतः म्यांमार के दक्षिण-पश्चिमी भाग के रखीन राज्य के निवासी हैवे खुद को अराकान राज्य के मूल निवासी बताते है जो की म्यांमार और दक्षिण पूर्व भारत के बीच एक स्वतंत्र राज्य हुआ करता थासंयुक्त राष्ट्र के अनुसार रोहिंग्या मुसलमान विश्व के अत्यधिक शोषित और प्रताड़ित किये जाने वाले अल्पसंख्यको में से हैंम्यांमार अपने १९८२ नागरिक कानून के तहत उन्हें म्यांमार का मूल नागरिक नहीं मानता अपितु उन्हें बांग्लादेश से आये अवैध शरणार्थियो के रूप में देखता है| म्यांमार उन्हें अपनी संस्कृति और अपने नागरिको के लिए एक खतरा समझता है|उन्हें मानवाधिकारों से वंचित रखा जाता है|समय समय पर इनके साथ हो रहे अत्याचार की खबरे विश्व समुदाय के लिए चिंता का विषय हैम्यांमार का बहुसंख्यक बौद्ध समाज रोहिंग्या मुसलमान को कट्टरपंथी मुसलमान और जिहादी गुटों से प्रभावित मानते हुए समाज में इनका बहिष्कार करता हैइस मुद्दे का इतिहास सैकड़ो वर्ष पुराना है परन्तु इस मुद्दे ने तूल तब पकड़ा जब म्यांमार सेना ने रोहिंग्या बस्तियों में घुसकर जघन्य और क्रूरतापूर्ण कार्रवाई करते हुये उनके बस्तियों को जला डाला और कई की निर्मम हत्या कर दी गयी|यह कार्रवाई रखाईंन राज्य के रोहिंग्या लोगो के के समूह द्वारा १२ पुलिसकर्मियों के हत्या के जवाब में की गयी |
पक्ष ----
भारत हमेशा से ही विश्वबंधुत्व का समर्थक देश रहा हैविश्व पटल पर भारत की छवि एक शांतिप्रिय देश के रूप में है जिसकी नीतिया सदा से ही मानवता और आपसी सौहार्द पर आधारित रहती है|यदि भारत के पड़ोस में कही कोई संकट गहराया है तो भारत ने अपनीं ताकत से उसे सुलझाया है चाहे वो बांग्लादेश का जन्म हो,मालदीव की समस्या रही हो,श्रीलंका का गृहयुद्ध रहा हो,नेपाल में प्राकृतिक आपदा रही हो,भूटान से सम्बंधित दोकलम  विवाद रहा हो|ये सब घटनाएं भारत के दक्षिण एशिया के स्थिरता में अहम भूमिका को दर्शाती है|भारत ने हमेशा से शरणार्थियो के प्रति नरम रुख अख्तियार किया है चाहे वो तिब्बती शरणार्थी हो,पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थी हो,अफगानी शरणार्थी हो या यहूदी और पारसी शरणार्थी रहे हो.उनका भारत ने अपने भूभाग पर खुले बांहों से स्वागत किया है |इन्ही सब अभूतपूर्व  घटनाओ से भारत को दुनिया में एक अलग नज़र से देखा जाता रहा है|
                                                                      हमें अपने पुरानी छवि को आगे बढाते हुए रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देना चाहिए|हमें उनको पंजीकृत करके वैध तरीके से भारत में शरण देनी चाहिए|हमें उनका पंजीकरण संयुक्त राष्ट् शरणार्थी उच्चायोग  में करना चाहिए जिससे भविष्य में हम जरूरत पड़ने पर उन्हें पहचान सके| हम रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देकर विश्व भर में यह सन्देश दे सकते है की आज भी जहाँ अहिंसा , करुना,मानवीय सद्भावना जीवित है वो भारत देश है|हम रोहिंग्या लोगो को शरण देकर यह दिखा सकते हैं की हमारे लिए मानवता की रक्षा सर्वोपरि है और यही हमारे संस्कृति की आधारशिला है|बौद्ध धर्म ने भारत देश में ही जन्म लिया और अज यह म्यांमार में विराथ्हू जैसे नेताओ के कारन कट्टरपंथ का शिकार हो चुका है जो की भारत के लिए चिंता का विषय है|हमें बौद्ध संस्कृति को अपना मानते हुए इसे रोहिंग्या पर अत्याचार करने से बचाना होगा और यह हम उनको शरण देके कर सकते है|भारत को सार्क और एसिआन देशो का विशेष सत्र बुला कर इन सब बिंदुआ पर तत्काल चर्चा करनी चाहिए-
---रोहिंग्या मुसलमानों के लिए राहत कोष की व्यवस्था करना
----विभिन्न देशों के भू क्षेत्रफल के अनुसार शरणार्थियो की संख्या निर्धारित करना
-----पहले से रह रहे शरणार्थियो की मौलिक अधिकार देने का आश्वाशन देना और उनका नैतिक विकास करना
सार्क और असिआन जैसे संगठन दक्षिण  और दक्षिण पूर्व एशिया में शांति स्थापना और सुचारू विकास के लिए गठित किये गए है और अगर ये अपना उद्देश्य सही समय पर पूरा कर अपये तो इनका गठन अर्थहीन और दिखावा मात्र के लिए है |भारत इसमें अहम् भूमिका निभा सकता है|भारत इतना काबिल है की कुछ लाख लोगो के लिए जरूरती चीज़े मुहैया करा सके और बदले में उनसे कुछ देशहित के कार्य करा सके जिससे वे आवारा और कामचोर हो|
                                       परन्तु सत्तारूढ़ दल उनके शरण के खिलाफ है,जिसपे माननीय उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को फटकार लगाया  और  मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि बताते हुए पहले से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियो को उनके देश वापस भेजने की योजना पर रोक लगा दी|हिंदुस्तान एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति होने के नाते रोहिंग्या के प्रति अपनी मानवीय जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड सकता |


विपक्ष-----------
                         भारत जनसँख्या के मामले में विश्व में दूसरे  स्थान पर है और यह अनुमानित है की २०३० तक भारत  चाइना को पछाड़ कर विश्व में सबसे ज्यादा जनसँख्या वाला राष्ट्र बन जायेगा जिसमे तनिक भी गर्व वाली बात नहीं है|भारत का जनसँख्या घनत्व भी अन्य देशो के मुकाबले कही ज्यादा है|आज हम भारत के लोगो को ही जनसँख्या के कारन पैदा हुई दिक्कते जैसे ---कुपोषण,गरीबी,भुखमरी,बेरोज़गारी,सार्वजानिक जगहों पर भगदड़,मूलभूत संसाधनों की कमी जैसी मुसीबतों से नहीं बचा पा रहे तो  हम शरणार्थियो को किस तरह जरूरी चीज़े मुहैया करा पाएंगे |बाहर के लोग यहाँ आकर हमारे ही संसाधनों का इस्तेमाल करेंगे जिससे उपर्युक्त समस्याए घटने की बजाय और विकराल रूप लेंगी |हमारे देश में यह प्रथा है की आप  संख्या में थोड़े कम है तो आप  आरक्षण की मांग करिए कल को ये विदेशी लोग भी आरक्षण की मांग करेंगे जिससे हमारे देश के काबिल नागरिको को नौकरी मिलाने के बजाय बेरोज़गारी झेलनी पड़ेगी जो की किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है|
                                          मानवता और राष्ट्र सुरक्षा दो अलग अलग पहलू है|हम मानवता के नाम पर राष्ट्र सुरक्षा ताक़ पर नहीं रख सकते|हमारा देश आतंकी गतिविधियों के मामले में काफी संवेदनशील देश है|मुस्लिम जिहादी गुट इन रोहिंग्या मुसलमानों को हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं|केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार उन के पास रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देना खतरनाक साबित हो सकता है|गृह मंत्रालय ने कहा की  उनके पास रोहिंग्या मुसलमानों के जिहादी संगठनो से रिश्ते होने के पुख्ता सबूत हैं|इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) के २०१६ के रिपोर्ट के अनुसार ऐ.आर.एस..(अरकान रोहिंग्या मुक्ति सेना ) के नेता अब्दुस कदुस जो की रोहिंग्या मूल का है और उसके साथियों की हाफिज सईद के साथ कई बैठके हो चुकी हैं|ये रिपोर्ट कहती है की एआरसऐ की अगुआई सऊदी अरब रोहिंग्या प्रवासियों की एक समिति करती है जो की आर्थिक तौर पर मजबूत और काफी संगठित मालूम देती है |देल्ली पुलिस ने १७ सितम्बर को अलकायदा के एक सदस्य समिउन रहमान को गिरफ्तार किया जो की रोहिंग्या मुसलमानों को भर्ती करके पूर्वी भारत में एक आतंकी मॉडयूल स्थापित करना चाहता था डेल्ही पुलिस की पूछताछ में रोहिंग्या उग्रवादियों के पाकिस्तान के साथ जुडाव के सबूत सामने आये थे|
                                                         शरण उसको दी जा सकती है जो लाचार है न की उनको जो कट्टरपंथ से प्रभावित है|   इन सब घटनाओ के कारन हमें इनको शरण देने के फैसले पर गंभीरता से विचार की जरूरत है |राष्ट्र सुरक्षा सर्वोपरि है और संसाधनों का उपयोग अगर हमारे देश के नागरिक न करके कोई विदेशी करेगा तो इससे ज्यादा शर्म वाली बात नहीं हो सकती|महान राजनीतिकार चाणक्य के अनुसार ज्यादा विनम्र और इमानदार भी नहीं होना चाहिए क्युकी सदैव सीधे वृक्षों को ही काटने के लिए चुना जाता है|हम इस समय खासकर की तब जब कश्मीर में भी हालत सामान्य नहीं है इन्हें शरण देके जोखिम नहीं उठा सकते |हमें भविष्य के खतरों के बारे में सोचकर फैसला लेना चाहिये न की भावुक और जज्बाती होकर राष्ट्र सुरक्षा की परवाह किये बिना शरणार्थी का दर्जा दे देना चाहिए |यदि हम वास्तव में उनके हितो की रक्षा करना चाहते है तो हमें म्यांमार सरकार पर दबाव बनाना चाहिए की रोहिंग्या लोगो के मौलिक अधिकारो का हनन न हो और उन्हें मूलभूत संसाधन जैसे सड़क पानी बिजली भोजन से वंचित न रखा जाय और भारत देश इस कार्य के लिए हरसंभव मदद के लिए तैयार है।इस फैसले से भारत की विश्व में भी धाक बढ़ेगी और हमारी छवि को भी कोई नुकसान नहीं होगा।

                                
  

                  
                                                             
                               
       


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